judgeMENTAL stories
comments 3

एक कहानी थार से

चाय पियोगे भाईसाब  कोने में उकडी मारे बैठे हुए आदमी ने मुझसे पूछा |

हालाँकि बैठा हुआ था पर देख कर ही लम्बी कद का पता चल रहा था| मैल से पिली हो गई धोती कुर्ता उसके मुस्कान को फीका नहीं कर पाई। । चाय के लिए, ऊंट का दूध था।  मैंने कभी ऊंट का दूध नहीं पिया था पर बकरी का पिया था, बकरी के दूध की सुगंध मुझसे सहन नहीं होता, यही ख्याल मुझे ऊंट के दूध के बारे में भी आया | मैं उसे निगल नहीं पाउँगा ये सोचकर आग्रहपूर्वक मना कर दिया।

पीकर देखो अच्छा लगेगा |

जी इस रेगिस्तान की गर्मी में मुझसे चाय हज़म नहीं होगा | जैसलमेर की गर्मी मेरे काम आ गई, बहाना चल गया|

कोई बात नहीं, हम तो पियेंगे | ये बोलकर उस छोटे से पिली पत्थर से बनी खोली के एक किनारे में चाय का तसला गरम होने लगा।

कहाँ से आ रहे हो 

मुम्बई से  मैंने जवाब दिया।
अच्छा 
मैंने सुना है यहाँ रात में भूत आते हैं । कुलधरा के बारे में उत्सुकता थी | इन्टरनेट पर तरह तरह के किस्से थे | मैंने सोचा अच्छा मौका है, ये तो कुलधरा के रखवाले हैं इनको तो पता ही होगा |

हाँ हम भी यहाँ नहीं रुकते 7 बजे के बाद। कई भूत है यहां । चाय पत्ती तसले में उड़ेलते हुआ उस आदमी ने बोला |

मैंने पूछ डाला क्या आपने  देखा है कभी भुत ?    जवाब मिला  हाँ बिलकुल देखा है 

अब तो बेचैनी सी होने लगी थी मुझे | बिना जाने तो हिलने वाला नहीं हूँ ये सोच कर मैंने टोपी और कैमरा का बैग कंधे से उतारकर पत्थर के बेंच पर रख दिया और आराम से बैठ गया |

भूरे घने केश और कान में राजस्थानी बाली पहने एक जवान व्यक्ति अंदर आया।
ये देखो भाईसाब ये जंगल का आदमी है, इसने देखा है भूत को 

छोटी कलछी जिससे चाय हिला रहा था अचानक से लहरा कर हसने लगा, बहार से आया व्यक्ति भी जोरदार हसी में उसका साथ देने लगा | सुनसान दोपहर देख कर मन में ख्याल आया कि कहीं यही दोनों तो भूत तो नहीं ? फिर सोचा भूत थोड़े ही चाय पीते हैं 🙂

अच्छा कैसे रहते हैं भूत ? उनके ठहाके को भेदते हुए मैंने पूछा |
अपने जैसे | इतना कहकर फिर हसने लगे दोनों|
इस बार मैंने भी अपनी राक्षसी हसी जोड़ दी | दोनों मुझे देखकर शांत हो गए |

मैं तो नहीं मानता  मैंने कहा| किसीने ने जवाव नहीं दिया|
चाय तैयार थी। तीन छोटे स्टील के घिसे हुए ग्लास में चाय निकाला गया।
ये कोने में सफ़ेद क्या रखा है । गोभी जैसा कुछ रखा था पर ज्यादा सफ़ेद और चिकना लग रहा था।
कुकुरमुत्ता है भाईसाब   छोटे भाई ने बोला।
अच्छा mushroom है

हाँ वही मुश्रुम। ये तलाव के पास मिला  छोटे भाई ने तलाव कि ओर ऊँगली दिखाते हुआ बोला।

अच्छा। क्या करोगे इसका  मैंने पूछा|

हमारे 2 दिन का खाना है। अनाज तो होता नहीं है यहाँ | थोडा बहोत जैसलमेर से ले आते हैं  |
पर पैसे हो तो तब लाएं, इसी से काम चला लेते हैं  ।  बड़े भाई ने जवाब दिया |

मैंने पूछा और पिने के लिए? 

छोटे भाई बोला ढाणी के पास ही एक तलाव है, पर आप उसका पानी नहीं पी पाओगे।
पानी पिला और कड़ा है। पिते ही आपका पेट बैठ जाएगा। हमें तो आदत हो गई है।

मैंने पूछा और जानवर क्या पिते हैं फिर ?

वही पानी । हम दोनों एक जैसे ही हैं , सिर्फ हम चाय पीते हैं और वो नहीं | लम्बी चुस्की खींचते हुए बड़े भाई ने बोला |

हसी आ गई इस बात बार , सारे मिलकर हसे 🙂

रेगिस्तान है ये सोच कर मैंने पूछा आपके पास कोई ऊंट है क्या ?

बड़ा भाई बोला नहीं । 3 थे बार बार बॉर्डर की तरफ भाग जाते थे, सो बेच दिया। बाँध कर रखो तो भी खोल लेते थे और पालना भी भारी पड़ रहा था। 

फिर पूछा ये इतनी सारी ऊँटो में अपनी वाली कैसे पहचानते हैं।

बड़े भाई बोला पहचान लेते हैं ना।उनके पीठ पर निसान दागा रहता है। कोई कोई तो ऊंट के गोबर सूंघकर  पहचान लेते हैं।

बात को आगे बढ़ाते हुए मैंने पूछाआप कभी मुम्बई गए हो?

छोटा वाला बोला नहीं जी। पर सुना है वहां बड़े  ऊँचे ऊँचे मकान हैं।
मैंने बोला हाँ बहोत ऊँचा।
आँखे  अचरज से बड़ी करते हुए छोटा वाला बोला जैसलमेर किला इतना बड़ा?

मैंने  बात काट ते  हुए बोला नही। ये तो बहोत छोटा है, 30 मंजिल का भी होता है।
छोटा भाई बोला बाप रे , कितना पत्थर लगा होगा।
पत्थर से नहीं बनते हैं, सीमेंट और  ईंट से बनते हैं मैंने बोला |
पत्थर से नहीं बनता है! फिर तो गिर जाता होगा  ना  उसका सरल सा जवाब आया|

नहीं बिलकुल नहीं गिरता | आप आना और देखना कभी | इतना कहकर बातें खतम कि |

जाते जाते बड़े भाई ने भूतों का राज़ कुछ इस तरह बताया| क्या बताऊ आपको ये होटल वालो ने सब झूठ फैला रखा है। ghost tour के नाम पर सबको लूटते हैं। उनका आदमी पहले से यहाँ आकर कोई गधा कोई खच्चर  बनकर भूत की आवाज़ करते हैं। आप ही बताओ भूत नाम की कोई चीज़ होती है क्या।

  Was this post helpful
Filed under: judgeMENTAL stories

by

Hello, I am Niraj. I define myself as an amateur photographer, biker and seeker. I like to connect with like-minded friends and share experiences and stories from the place, people and time. I believe life is an endless journey and our actions no matter how small affects this infinite universe in some way or another. So let's not stop and keep our work going.

3 Comments

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.